ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय नौसेना ने अपनी ताकत का जबरदस्त प्रदर्शन किया. वाइस एडमिरल तरुण सोबती, डिप्टी चीफ ऑफ नेवल स्टाफ (DCNS) ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत पर 15 मिग-29के फाइटर जेट्स तैनात थे.
मध्य प्रदेश के डॉ. अंबेडकर नगर में आर्मी वॉर कॉलेज में आयोजित तीनों सेनाओं के ‘रण संवाद-2025’ में नौसेना की त्वरित और दृढ़ कार्रवाइयों के बारे में बताया. पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में 7 से 10 मई 2025 तक ऑपरेशन सिंदूर चला था.
पहलगाम हमले से शुरुआत
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ऑपरेशन सिंदूर पहलगाम (जम्मू-कश्मीर) में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें हिंदू पुरुषों को निशाना बनाकर 26 पर्यटकों की हत्या की गई. ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने जिम्मेदारी ली, जो लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी है.
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भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद समर्थन का आरोप लगाया. 7 मई को भारत ने मिसाइल हमले शुरू किए, जो पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 स्थानों पर आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. पाकिस्तान ने दावा किया कि हमले नागरिक क्षेत्रों पर हुए, जिसमें 31 मौतें हुईं.
भारत ने कहा कि केवल आतंकी इंफ्रास्ट्रक्चर को टारगेट किया गया. यह ऑपरेशन 10 मई को समाप्त हुआ, लेकिन इससे पहले तनाव बढ़ा, जिसमें ड्रोन और मिसाइल हमले हुए. नौसेना का रोल समुद्री ब्लॉकेड और निगरानी में था.
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वाइस एडमिरल सोबती ने बताया कि नौसेना का द्विवार्षिक थिएटर-लेवल एक्सरसाइज TROPEX पहले से ही पश्चिमी समुद्री तट पर संपत्तियों को तैनात कर चुका था. 96 घंटों के अंदर सभी ऑपरेशनल जहाज समुद्र में तैनात हो गए. हम बंदरगाह लौटे, गोला-बारूद की पूर्ति की (क्योंकि जहाज हमेशा पूरी तरह लोड नहीं होते) और सभी जहाजों व पनडुब्बियों को तैयार करके फिर समुद्र में उतर गए.
आईएनएस विक्रांत का रोल: 15 मिग-29के के साथ ताकत का प्रतीक
ऑपरेशन का केंद्र था आईएनएस विक्रांत. भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर. इस पर 15 मिग-29के फाइटर जेट्स तैनात थे, जो डिस्ट्रॉयर, फ्रिगेट्स और पनडुब्बियों वाले टास्क फोर्स का बैकबोन बने. विक्रांत कराची के दक्षिण में अंतरराष्ट्रीय जल में तैनात होकर डी फैक्टो ब्लॉकेड स्थापित किया, जिससे पाकिस्तानी नौसेना अपने बंदरगाहों तक सीमित हो गई.
वाइस एडमिरल सोबती ने कहा कि हमने विक्रांत पर 15 मिग-29के चढ़ाए और समुद्र में तैयार हो गए. उद्देश्य फॉरवर्ड और डिटरेंट पोस्चर बनाए रखना था, ताकि विरोधी नौसेना हमें, हमारे व्यापार मार्गों, आर्थिक जीवनरेखाओं या तट को धमकी न दे सके. यह रणनीति सफल रही.
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उन्होंने कहा कि हम सफल रहे, क्योंकि हम पाकिस्तानी नौसेना को तट के पास बांध सके. उनके पास मैन्युवर की आजादी नहीं थी, वे बाहर निकलने की हिम्मत नहीं कर सके. हमने वह पोस्चर बनाए रखा. नौसेना की उपस्थिति सैटेलाइट, विमान, UAVs और तटीय रडार से समुद्री डोमेन अवेयरनेस से मजबूत हुई, जिससे पाकिस्तानी यूनिट्स बिना सीधे लड़ाई के निष्क्रिय हो गईं.
नॉन-कॉन्टैक्ट वॉरफेयर: बिना बॉर्डर क्रॉस किए लक्ष्य हासिल
ऑपरेशन सिंदूर ने नौसेना की ‘नॉन-कॉन्टैक्ट वॉरफेयर’ क्षमता दिखाई, जिसमें एडवांस्ड इंटेलिजेंस, लॉन्ग-रेंज मिसाइल्स और अनमैनेड सिस्टम्स से रणनीतिक लक्ष्यों को हासिल किया. सोबती ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर से नौसेना के अलावा पूरी सशस्त्र सेनाओं ने कई सबक सीखे. कुछ उपाय लागू हो चुके, बाकी तेजी से हो रहे हैं.
लॉन्ग-रेंज प्रिसिजन स्ट्राइक: दुश्मन क्षेत्र में न घुसते हुए लैंड और सी टारगेट्स को प्रभावित करने की क्षमता बढ़ानी होगी.
काउंटर-ड्रोन सिस्टम्स: लो-कॉस्ट UAVs का खतरा बढ़ा है, जैसे रेड सी और एडेन गल्फ में हूती हमलों में. मिलियन डॉलर के महंगे SAMs से लो-कॉस्ट UAVs को नष्ट करना महंगा है. हमें काउंटर-UAV सिस्टम विकसित करने होंगे.
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक मैनेजमेंट: काउंटर-UAV जैमर्स से नौसेना के रडार प्रभावित हो सकते हैं. जहाज पहले से उपकरणों से भरे हैं, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वातावरण घना है. नए ट्रांसमिटिंग सिस्टम्स जोड़ने से अपनी रडार क्षमता बाधित हो सकती है.
भविष्य के युद्धों के लिए सबक
नौसेना की भूमिका समुद्री ब्लॉकेड में थी, जो पाकिस्तानी नौसेना को कराची बंदरगाह तक सीमित रखी. सोबती ने कहा कि नौसेना के कर्मी रैरिंग टू गो थे. एस्केलेशन लैडर कंट्रोल्ड था, क्योंकि मिलिट्री और पॉलिटिकल एम जल्द हासिल हो गया. अगर विरोधी बढ़ाता, तो हम तैयार थे.
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