अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के नजरिए से भारत पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ के तौर पर पेनल्टी लगाया है, जिसको लेकर उनकी आलोचना भी हुई. उनपर दोहरी नीति अपनाने के आरोप लगे, क्योंकि वह चीन पर काफी फिदा हैं और उसे रूसी तेल खरीदने के लिए किसी तरह की सजा नहीं दी जा रही है, लेकिन भारत को भारी-भरकम कुल 50 फीसदी टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है. अब अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इस पर प्रतिक्रिया दी और कहा है कि अगर चीन पर टैरिफ लगाए जाएंगे तो इससे ग्लोबल ऑयल मार्केट प्रभावित होगा.
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो का कहना है कि अगर चीन पर रूस के तेल रिफाइनिंग को लेकर सेकेंडरी सैंक्शन लगाए जाते हैं, तो इससे ग्लोबल एनर्जी प्राइस बढ़ सकते हैं. वहीं, वॉशिंगटन ने भारत को दंडित करते हुए सामानों पर अतिरिक्त टैरिफ लगा दिए हैं, क्योंकि भारत लगातार रूस से क्रूड ऑयल खरीद रहा है.
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रुबियो ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अगर रूस के तेल शिपमेंट्स पर चीन को निशाना बनाया गया, तो इसका असर वैश्विक ऑयल मार्केट पर पड़ेगा. उन्होंने कहा, “अगर किसी देश पर सेकेंडरी सैंक्शन लगाए जाते हैं, जैसे चीन के मामले में, तो चीन उस तेल को रिफाइन करेगा और वह फिर से ग्लोबल मार्केट में लौट आएगा. इससे खरीदारों को ज्यादा दाम चुकाने होंगे या फिर वैकल्पिक स्रोत ढूंढने पड़ेंगे.”
100% टैरिफ के प्रस्ताव पर राजी नहीं यूरोप- रुबियो
रुबियो ने यह भी बताया कि यूरोपीय देश इस प्रस्ताव से असहज हैं. उन्होंने कहा, “जब हमने सीनेट बिल पर चर्चा की, जिसमें चीन और भारत पर 100% टैरिफ का प्रस्ताव था, तो कई यूरोपीय देशों ने असहमति जताई.” इससे पहले रुबियो ने कहा था कि भारत का रूस से लगातार तेल खरीदना अमेरिका के लिए चिंता का विषय है. उनके मुताबिक, भारत की एनर्जी जरूरतें बड़ी हैं और रूस का सस्ता तेल उसकी अर्थव्यवस्था के लिए अहम है, लेकिन यही खरीद रूस के युद्ध को सहारा दे रही है.
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चीन को राहत, भारत पर 50% टैरिफ
उधर, अमेरिका ने चीन पर तो कोई बड़ा एक्शन नहीं लिया, लेकिन भारत पर सख्त रवैया अपनाया है. पहले 25% टैरिफ लगाया गया और बाद में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे बढ़ाकर 50% कर दिया. व्हाइट हाउस ने भारत को चेतावनी दी है कि अगर उसने अपना रुख नहीं बदला तो सेकेंडरी सैंक्शन भी लगाए जा सकते हैं. इस कदम पर डबल स्टैंडर्ड का आरोप लग रहा है.
आलोचकों का कहना है कि चीन लगातार रूस से तेल आयात कर रहा है, लेकिन उसे कोई सजा नहीं दी जा रही. वहीं, भारत का कहना है कि उसके रूसी तेल सौदे जारी रहेंगे और अमेरिका का रवैया पाखंडी है. ट्रंप ने दावा किया कि भारत पर लगाए गए टैरिफ से रूस पर दबाव बढ़ा है, क्योंकि वह अपने दूसरे सबसे बड़े ग्राहक को खो रहा है.
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