दिवाली 2025 ( Pexels)



अंधकार पर ज्ञान और प्रकाश की जीत का प्रतीक दिवाली आज 20 अक्टूबर को मनाया जा रहा है. दिवाली के दिन घरों और मंदिरों में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. लक्ष्मी पूजा से धन, समृद्धि और खुशहाली आती है, जबकि गणेश पूजा घर और कार्यों में बाधाओं को दूर करती है. हर शहर में लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त अलग-अलग समय पर होता है, इसलिए सही समय पर पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है. इसके साथ ही पूजा की विधि का पालन करना भी जरूरी है आइए जानते हैं कि शहरवार शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और दिवाली के अन्य महत्वपूर्ण रीति-रिवाज क्या हैं. 

दिवाली लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्तदोपहर का मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) दोपहर 3:44 बजे से शाम 5:46 बजे तक रहेगा. शाम का मुहूर्त (चर)  शाम 5:46 बजे से शाम 7:21 बजे तक रहेगा. रात्रि मुहूर्त लाभ मुहूर्त 21 अक्टूबर को 10:31 बजे से रात्रि 12:06 बजे तक रहेगा.  प्रातः काल का मुहूर्त  21 अक्टूबर (शुभ, अमृता, चर)  1:41 पूर्वाह्न से 6:26 पूर्वाह्न तक रहेगा.

अलग-अलग शहरों दिवाली लक्ष्मी पूजा 2025

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पुणे 
शाम 7:38 से रात 8:37 बजे तक 
नई दिल्ली
शाम 7:08 से रात 8:18 बजे तक 
चेन्नई 
शाम 7:20 से रात 8:14 बजे तक 
जयपुर 
शाम 7:17 से रात 8:25 बजे तक 
हैदराबाद 
शाम 7:21 से रात 8:19 बजे तक 
गुड़गांव 
शाम 7:09 से रात 8:19 बजे तक 
चंडीगढ़
शाम 7:06 से रात 8:19 बजे तक 
कोलकाता
शाम 5:06 से शाम 5:54 बजे तक, 21 अक्टूबर 
मुंबई 
शाम 7:41 से रात 8:41 बजे तक 
बेंगलुरु 

शाम 7:31 से रात 8:25 बजे तक

अहमदाबाद 
शाम 7:36 से रात 8:40 बजे तक 
नोएडा 
शाम 7:07 से रात  8:18 बजे तक
दिवाली पूजन विधि (Diwali Pujan Vidhi)

दिवाली पर पूजा करने के लिए सबसे पहले पूर्व दिशा या ईशान कोण में एक चौकी रखें.  चौकी पर लाल या गुलाबी वस्त्र बिछाएं और पूजा सामग्री तैयार करें. सबसे पहले भगवान गणेश की मूर्ति रखें और उनके दाहिने ओर मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें. पूजा स्थल तैयार होने के बाद आप आसन पर बैठकर चारों ओर जल छिड़कें और अपने मन में संकल्प लेकर पूजा आरम्भ करें.

पूजा की शुरुआत दीपक जलाकर करें. इसके बाद मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को फूल और मिठाइयां अर्पित करें. अर्पण के पश्चात सबसे पहले गणेश जी और फिर मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें. मंत्र जाप के बाद आरती करें और शंख ध्वनि करें, इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. 

उसके बाद घर के अलग-अलग हिस्सों में दीपक जलाना शुरू करें. दीपक केवल घर में ही नहीं, बल्कि कुएं के पास और मंदिर में भी जलाएं.  पूजा के दौरान लाल, पीले या चमकदार रंग के वस्त्र पहनें और काले, भूरे या नीले रंग से परहेज करें. 

दिवाली का महत्व

दिवाली का त्योहार भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है. जब प्रभु राम अयोध्या वापस आए, तो अयोध्या नगरी को अत्यंत सुंदर और भव्य तरीके से सजाया गया. नगरवासियों ने दीपक जलाकर और घरों व गलियों को रोशन करके भगवान का भव्य स्वागत किया. 

 
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