आर्टिफिशल इंटेलीजेंस का आइडिया कोई आज की खोज नहीं है. इसकी शुरुआत हुई थी जंग के मैदान से हुई, वो भी द्वितीय विश्व युद्ध में, जब एलन ट्यूरिंग नाम के ब्रिटिश वैज्ञानिक ने दुश्मनों का सीक्रेट कोड तोड़ने के लिए एक मशीन बनाई. इससे पहले मशीन सिर्फ काम करती थी, लेकिन यहां से उसने सोचना शुरू कर दिया. फिर 1956 में एक कॉन्फ्रेंस हुई जहां इसे एक नाम भी मिल गया – Artificial Intelligence. शुरुआत में तो कुछ खास नहीं हुआ लेकिन जैसे-जैसे इंटरनेट थोड़ा फैला और आम लोगों तक ताकत पहुंची तो AI ने बवाल रूप ले लिया. अब देखिए मशीन यानी सॉफ्टवेयर सोच भी रहा है और खुद काम भी कर रहा है.
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