बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की आंधी में महागठबंधन का सारा सियासी किला ध्वस्त हो गया है. एनडीए के सियासी लहर में मुस्लिम सियासत भी बह गए. इस बार बिहार चुनाव में मुस्लिम विधायक महज 11 जीतकर आए हैं जबकि 2019 में 19 मुस्लिम विधायक जीते थे. इस तरह पिछले विधानसभा चुनाव से 8 मुस्लिम विधायक कम जीतकर आए हैं. और पढ़ें
बिहार के सियासी इतिहास 1951 से लेकर अभी तक के जितने चुनाव हुए हैं, उसमें सबसे ज्यादा मुस्लिम विधायक 1985 के चुनाव में 34 जीतकर आए थे जबकि सबसे कम संख्या में 11 मुस्लिम विधायक इस बार के चुनाव में चुने गए हैं.
2025 के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा संख्या में मुस्लिम विधायक AIMIM से पांच जीते हैं, आरजेडी से 3 मुस्लिम विधायक चुने गए हैं तो कांग्रेस से दो मुस्लिम और जेडीयू से एक मुस्लिम विधायक चुनकर आए हैं. सीपीआई माले और चिराग पासवान की पार्टी से कोई भी मुस्लिम विधानसभा चुनाव नहीं जीत सका.
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कौन-कौन मुस्लिम विधायक जीते?
बिहार में इस बार कुल 11 मुस्लिम विधायक चुने गए हैं. कांग्रेस के टिकट पर किशनगंज से मोहम्मद कमरुल होदा और अररिया से अब्दुर रहमान जीते हैं. आरजेडी के टिकट पर रघुनाथपुर सीट से ओसामा शहाब, बिस्फी सीट से आरिफ अहमद और ढाका से फैजल रहमान जीते हैं.
वहीं, असदुद्दीन ओवैसी के AIMIM के टिकट पर जोकीहाट सीट से मोहम्मद खुर्शीद आलम, बहाबुरगंज सीट से मो. तौसीफ आलम, कोचाधामन से मो. सरवर आलम, अमौर से अख्तारुल ईमान और बायसी सीट से गुलाम सरवर विधायक चुने गए हैं. दूसरी तरफ जेडीयू के टिकट पर चैनपुर सीट से मोहम्मद जमा खान से जीते, वे 2020 में बसपा के टिकट पर इसी सीट से जीते थे और बाद में जेडीयू में शामिल हो गए थे.
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मुस्लिमों में ओवैसी का बढ़ा ग्राफ
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने विपक्षी महागठबंधन को न सिर्फ सीमांचल, बल्कि कई अन्य मुस्लिम प्रभाव वाली सीटों पर ताकत का अहसास कराया. 2020 के चुनाव में पांच विधायक AIMIM के जीते थे, जिनमें से चार विधायकों ने आरजेडी का दामन थाम लिया था.
AIMIM के चार विधायकों की बगावत के बावजूद ओवैसी की पार्टी ने पिछली बार जीती सभी सीटें बायसी, अमौर, जोकीहाट, बहादुरगंज और कोचाधामन बरकरार रखी हैं इसके अलावा पार्टी उम्मीदवारों ने बलरामपुर, दरभंगा ग्रामीण, गौराबौरम, प्राणपुर, कसबा, ठाकुरगंज, शेरघाटी सीटों पर दूसरे या तीसरे स्थान पर रहते हुए वोट काटकर विपक्षी महागठबंधन के उम्मीदवारों को जीत हासिल नहीं होने दी.
किसका कितना दांव पर लगाया था
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए और महागठबंधन दोनों ने मुस्लिम प्रत्याशियों पर दांव लगाया था. तेजस्वी यादव के अगुवाई वाले महागठबंधन से 30 मुस्लिम उम्मीदवार तो नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए से पांच मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में थे. महागठबंधन में आरजेडी से 18 मुस्लिम प्रत्याशी में सिर्फ तीन जीते, कांग्रेस से 10 में से सिर्फ दो ही जीते. सीपीआई माले से दो मुस्लिम मैदान में थे और दोनों ही हार गए. वहीं, एनडीए की तरफ जेडीयू ने चार और एलजेपी ने एक मुस्लिम को उम्मीदवार बनाया. एलजेपी प्रत्याशी को जीत नहीं मिली, लेकिन जेडीयू के चार में सिर्फ एक ही जीत सके हैं. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) से 23 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से पांच जीते हैं. इस तरह कुल 11 मुस्लिम विधायक बने हैं.
2025 में सबसे कम मुस्लिम विधायक
बिहार में करीब 18 फीसदी मुस्लिम आबादी है, जिसके लिहाज से कम से कम 44 विधायक होने चाहिए. 1951 से लेकर अभी तक इतनी संख्या में कभी भी मुस्लिम विधायक जीतकर नहीं आ सके हैं. इस बार 243 विधानसभा सीटों में से सिर्फ 11 मुस्लिम विधायक ही बने हैं. बिहार में मुस्लिम विधायक बिहार में साल 1985 के चुनाव में सबसे अधिक 34 मुस्लिम विधायक चुने गए थे, लेकिन उस समय संयुक्त बिहार की 324 सीटें हुआ करती थी.
बता दें कि 2020 के बिहार चुनाव में कुल 19 मुस्लिम विधायक चुनकर आए थे, जिसमें आरजेडी से 8, कांग्रेस से 4, एआईएमआईएम (AIMIM) से 5, सीपीआई माले से एक और एक विधायक बसपा से जीते थे. इस बार यह संख्या घटकर 11 पर रह गई है, जो अब तक बिहार के सियासी इतिहास की सबसे कम है.
1951 से लेकर 2025 तक कब कितने मुस्लिम विधायक
बिहार में सबसे पहले साल 1951-52 के पहले विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें 24 मुस्लिम विधायक बने थे. इसके बाद 1957 के चुनाव में 25 और 1962 के चुनाव में 21 मुस्लिम विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. साल 1967 के चुनाव में 18 मुस्लिम जीते थे और साल 1969 के चुनाव में 19 मुस्लिम ने जीत हासिल की.
वहीं, 1972 और 1977 के चुनाव में 25-25 मुस्लिम विधायक जीते थे. 1980 के चुनाव में मुस्लिम विधायकों की संख्या में इजाफ़ा हुआ और 28 मुस्लिम जीतकर विधानसभा पहुंचे जबकि 1985 के चुनाव में 34 मुस्लिम जीतने में सफल रहे.
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हालांकि, 1990 के चुनाव में मुस्लिम विधायकों की संख्या में गिरावट आई और महज़ 20 विधायक ही जीत हासिल कर सके. इसके बाद 1995 के चुनाव में भी 19 मुस्लिम ने जीत दर्ज की. साल 2000 में एक बार फिर मुस्लिम विधायकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई और 29 मुस्लिम जीतकर विधानसभा पहुंचे.
बिहार में साल 2005 में सत्ता परिवर्तन हुआ तो मुस्लिम विधायकों की संख्या में कमी आई और महज़ 16 मुस्लिम ही जीत हासिल कर सके. इसके बाद 2010 के चुनाव में 19 मुस्लिम विधायकों ने जीत दर्ज की और 2015 में जब नीतीश-लालू एक साथ आए तो मुस्लिम विधायकों की संख्या 24 पहुंच गई. 2020 में महज़ 19 मुस्लिम विधायक बन सके थे. इस बार घटकर 11 पर मुस्लिम विधायकों की संख्या पहुंच गई है.
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