उत्तर प्रदेश के रामपुर में एक हत्याकांड में 23 लोगों को एक साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. यह मामला 20 बीघा ग्राम समाज की जमीन और 20 साल पुरानी रंजिश से जुड़ा था. अभियोजन पक्ष की मजबूत पैरवी और 20 गवाहों की गवाही ने संजीव पांडे के हत्यारों को सजा दिलाई. कोर्ट ने सभी दोषियों पर ₹85,000 का अर्थदंड भी लगाया है.
आपको बता दें कि यह घटना 22 जुलाई, 2017 को रामपुर के थाना मिलक क्षेत्र में हुई थी. हत्याकांड ग्राम समाज की 20 बीघा जमीन को लेकर चली आ रही 20 साल पुरानी रंजिश का नतीजा था. सभी मुलजिमानों ने एक राय होकर संजीव पांडे पर फायर आर्म और धारदार हथियारों से हमला किया था. इस हमले में संजीव पांडे की इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी, जबकि तीन अन्य लोग घायल हुए थे. अभियोजन की भरपूर पैरवी और गवाहों की अटूट गवाही के चलते दोषियों को सजा मिली.
जिला शासकीय अधिवक्ता अमित सक्सेना के अनुसार, मृतक संजीव पांडे अपने भाई और रिश्तेदारों के साथ अपने खेत पर गए थे. आरोपियों और मृतक के बीच ग्राम समाज की जमीन को लेकर पुरानी दुश्मनी थी. इसी रंजिश के कारण, घटना वाले दिन सभी 23 अभियुक्तों ने मिलकर घातक हथियारों से हमला किया. घटना के बाद संजीव के भाई बाबूराम ने थाना मिलक में IPC की धारा 302, 307 समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था. शुरुआती चार्जशीट 17 लोगों के खिलाफ 2017 में, जबकि बाकी 6 के खिलाफ 2018 में दाखिल हुई थी.
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अभियोजन पक्ष ने घटना से संबंधित मजबूत साक्ष्य और गवाह पेश किए. जिला शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि इस घटना में जो लोग घायल हुए थे, उन्होंने भी कोर्ट में घटना का पूरा समर्थन किया. 20 गवाहों की अटूट गवाही से अभियुक्तों के खिलाफ आरोप ‘बिना किसी संदेह’ के साबित हुए. मृतक संजीव पांडे की पत्नी सोनी देवी ने कोर्ट के इस फैसले पर संतोष व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि उनके पति को जमीन विवाद में मार दिया गया था, लेकिन अब 23 लोगों को उम्रकैद की सजा मिलने से उन्हें और उनके तीन बच्चों को इंसाफ मिला है.
कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
जिला जज की अदालत ने सभी 23 अभियुक्तों को धारा 302 (हत्या) में आजीवन कारावास और ₹50,000 जुर्माना और धारा 307 (हत्या का प्रयास) में 10 वर्ष की सज़ा और ₹30,000 जुर्माना से दंडित किया है. इसके अलावा अन्य धाराओं (147 और 148) में भी सजा सुनाई गई है. इस तरह प्रत्येक दोषी पर कुल ₹85,000 का अर्थदंड लगाया गया है. 23 लोगों को एक साथ उम्रकैद की सजा मिलना न्यायिक दृष्टिकोण से एक दुर्लभ और महत्वपूर्ण मामला माना जा रहा है.
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