नेपाल में पिछले दिनों Gen-Z आंदोलन के चलते भारी हिंसा हुई थी. प्रदर्शनकारियों ने संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक को आग के हवाले कर दिया था. नेताओं को खुलेआम दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया. दुकानें लूटी गईं, घरों में तोड़फोड़ की गई. इस उपद्रव में 72 लोग मारे गए और 2000 से ज्यादा घायल हुए. इतना ही नहीं, केपी शर्मा ओली को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. हिंसक प्रदर्शन का असर अब नेपाल के टूरिज्म पर साफ तौर पर देखने को मिल रहा है. आलम ये है कि इन दिनों पर्यटकों से गुलजार रहने वाले काठमांडू के थमेल में दुकानें, पब और रेस्टोरेंट सोमवार यानी 15 सितंबर सुनसान थे, यहां की सुव्यवस्थित गलियों में अब कोई सैलानी दिखाई नहीं दे रहा है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल पर्यटन प्राधिकरण, होटल मालिक और ट्रेकिंग आयोजकों ने बताया कि पर्यटकों की संख्या में करीब 30% की गिरावट आई है. इससे कई बुकिंग्स कैंसिल हो गईं. ट्रेकिंग एक्सपीडिशन का आयोजन करने वाले राम चंद्र गिरी ने बताया कि उनके लगभग 35% ग्राहकों ने बुकिंग रद्द कर दी है.
बौधनाथ स्तूप में एक प्राचीन वस्तुओं की दुकान चलाने वाली और होटल मालिक रेणु बनिया ने कहा कि उनके 60% व्यवसाय पर असर पड़ा है, और अगले महीने के लिए उनकी होटल बुकिंग पूरी तरह से कैंसिल हो गई है.
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विदेशी यात्रियों के लिए चेतावनी जारी
भारत, अमेरिका, चीन, यूके, जर्मनी और जापान जैसे देशों ने नेपाल में गैर-जरूरी यात्रा से बचने की सलाह दी है. खासकर संसद भवन और हिल्टन होटल जैसे प्रतिष्ठित इमारतों में आग लगने के बाद तस्वीरें दुनियाभर में वायरल हो गईं, जिससे भय और असुरक्षा का माहौल बन गया है.
पर्यटन का देश की अर्थव्यवस्था में योगदान
नेपाल में सालाना लगभग 12 लाख पर्यटक आते हैं, और ये देश की लगभग 8% GDP का योगदान देता है. सितंबर से दिसंबर को पीक सीजन माना जाता है. नेपाल पर्यटन बोर्ड के सीईओ दीपक राज जोशी ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में बुकिंग कैंसिलेशन की दर 8% से 10% तक रही है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासनिक इमारतें और कई होटल भी क्षतिग्रस्त हुए हैं, जो पर्यटकों और निवेशकों के लिए नकारात्मक संदेश दे रहे हैं.
काठमांडू की फिजाओं में राख की गंध
नेपाल में हालात फिलहाल धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं और नई अंतरिम सरकार के नेतृत्व में देश सुधार की दिशा में बढ़ रहा है, फिर भी काठमांडू में कई जगहों पर जलते घरों की राख और स्मोक की गंध अभी भी बनी हुई है. नेपाली अधिकारियों और व्यवसाय मालिकों को पर्यटकों के नेपाल लौटने की उम्मीद है, जबकि 5 मार्च 2026 को होने वाले चुनावों के साथ सरकार की स्थिरता पर सवालिया निशान लगा हुआ है.
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