मुंबई के एक हाई-प्रोफाइल 15 लाख रुपये के घूसकांड में नया खुलासा हुआ है. मुंबई सिविल कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एजाज़ुद्दीन सलाउद्दीन काजी, जिन्हें ‘वॉन्टेड’ घोषित किया गया है, ने न सिर्फ इस पूरे रैकेट में सक्रिय भूमिका निभाई बल्कि गिरफ्तार क्लर्क चंद्रकांत वासुदेव के साथ भी उनके बेहद करीबी रिश्ता है. यह बात एसीबी की जांच में सामने आई है. और पढ़ें
पुलिस ने बताया कि जज की पूछताछ और जांच आवश्यक है, जिसके लिए बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अनुमति लेने की प्रक्रिया एसीबी के वरिष्ठ स्तर पर चल रही है.
पिछले सप्ताह, सिविल कोर्ट के क्लर्क-सह-टाइपिस्ट चंद्रकांत वासुदेव को ज़मीन विवाद के एक मामले में अनुकूल फैसला देने के लिए कथित तौर पर ₹15 लाख की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था. वासुदेव ने खुलासा किया कि उसने यह रकम जज काजी की ओर से इकट्ठा की थी.
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जांच से पता चला है कि काजी ने कथित तौर पर वासुदेव को व्यावसायिक मुकदमे में पक्ष में फैसला देने के लिए शिकायतकर्ता से अपने लिए 15 लाख रुपये की मांग करने का निर्देश दिया था. क्लर्क ने पहले कोर्ट के वॉशरूम में शिकायतकर्ता के सहयोगी से “साहेब के लिए कुछ करने” को कहा. मना करने पर धमकी दी गई,”पैसा नहीं दिया तो ऑर्डर आपके खिलाफ जाएगा.”
बाद में उसने कैफे में शिकायतकर्ता से मुलाकात की और जज के लिए 15 लाख रुपये की मांग की. शिकायतकर्ता के ACB से संपर्क करने के बाद, क्लर्क को 10 नवंबर को चेम्बूर के एक कैफे में रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया.
जज की सक्रिय भूमिका और फरार होनाएसीबी के निर्देश पर, वासुदेव ने गवाहों की उपस्थिति में जज काजी से फोन पर बात की. पुलिस के अनुसार, जज ने स्वीकार की गई रिश्वत की रकम पर सहमति जताई और क्लर्क को पैसे अपने आवास पर लाने का निर्देश दिया. साथ ही, पुलिस ने यह भी बताया कि काजी ने अपराध में सक्रिय भूमिका निभाई थी और उसकी जांच जरूरी है.
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पुलिस ने बताया कि काजी ने वासुदेव की व्यक्तिगत और पारिवारिक समस्याओं में मदद की थी और वे व्हाट्सएप पर लगातार बातचीत करते थे. 12 नवंबर को एसीबी की टीम जज के आवास पर जांच के लिए गई, लेकिन घर बंद मिला, जिसके बाद दूसरे जज और दो गवाहों की मौजूदगी में हाउस सीलिंग पंचनामा किया गया. गिरफ्तार क्लर्क वासुदेव को सोमवार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और उनकी ज़मानत याचिका पर 19 नवंबर को सुनवाई होगी.
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