आईसीसी महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप 2025 के फाइनल में रविवार (2 नवंबर) को भारतीय टीम का सामना साउथ अफ्रीका से है. हरमनप्रीत कौर की अगुवाई में भारतीय टीम ने सेमीफाइनल में सात बार की चैम्पियन ऑस्ट्रेलिया को 5 विकेट से हराया था, वहीं साउथ अफ्रीकी टीम ने इंग्लैंड पर 125 रनों से जीत हासिल की थी. दोनों टीम्स ने अब तक वर्ल्ड कप नहीं जीता है, ऐसे में ये एक ऐतिहासिक मुकाबला होने जा रहा है.
वर्ल्ड कप फाइनल से पहले भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान शांता रंगास्वामी ने संघर्ष के दिनों को याद किया है. रंगास्वामी ने बताया कि 1970 और 80 के दशक में महिला क्रिकेटर्स को भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) से कोई खास मदद नहीं मिलती थी. रंगास्वामी भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पहली कप्तान थीं. रंगास्वामी ने 1976 में इंटरनेशनल डेब्यू किया और 1991 तक खेलीं.
शांता रंगास्वामी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘हम लोग अनारक्षित कोच में सफर करते थे, डॉरमेट्री में फर्श पर सोते थे. अपने साथ बिस्तर और जरूरी सामान खुद लेकर चलते थे. क्रिकेट किट पीठ पर और सूटकेस हाथ में होता था. आज के खिलाड़ियों को जो सुविधाएं मिल रही हैं, उसे देखकर काफी खुशी होती है. उनके अच्छे प्रदर्शन ही इसके सबूत हैं. बीसीसीआई, राज्य संघ और खिलाड़ियों की मेहनत ने मिलकर महिला क्रिकेट को नई ऊंचाई दी है.’
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महिला खिलाड़ियों को लेकर BCCI ने लिया था बड़ा फैसलाभारतीय महिला क्रिकेट ने लंबा सफर तय किया है. कुछ समय पहले बीसीसीआई ने महिला और पुरुष क्रिकेटर्स के लिए समान मैच फीस की घोषणा की थी, जो भारतीय खेल के इतिहास में बड़ा कदम माना गया. हालांकि सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट में अभी भी फर्क है, लेकिन आज खिलाड़ी पहले की तुलना में कहीं ज्यादा समर्थन और मदद पा रही हैं.
शांता रंगास्वामी कहती हैं, ‘करीब 50 साल पहले जो नींव हमने रखी थी, आज वही फल दे रही है. अगर हरमनप्रीत कौर की टीम वर्ल्ड कप जीतती है, तो भारत में क्रिकेट खेलने वाली लड़कियों की संख्या दो या तीन गुना बढ़ सकती है.’
शांता रंगास्वामी ने पूर्व बीसीसीआई सचिव और आईसीसी (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) के मौजूदा चेयरमैन जय शाह की भी प्रशंसा की. शांता कहती हैं, ‘जब जय शाह बीसीसीआई सचिव थे, तब उन्होंने कई ऐसे सुधार किए जिन्होंने महिला क्रिकेट को नई दिशा दी. मैं खुद उस अपेक्स काउंसिल का हिस्सा थी, जिसने महिला क्रिकेट को बढ़ावा दिया और आज उन सुधारों का परिणाम दिख रहा है.’
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