वैज्ञानिकों के अनुसार सारे यूनिवर्स बुलबुलों में बंधे हैं. (फोटो- A.I. Generated)



एक मशहूर साइंस फिक्शन लेखक आर्थर सी. क्लार्क ने साल 1991 में एक लेख छापा था, जिसका शीर्षक था ‘क्रेडो’. इस लेख में वो कहते हैं “दो संभावनाए हैं- या तो हम ब्रह्मांड में अकेले हैं या फिर नहीं. और दोनों उतनी ही डरावनी है.” ये कथन आज भी चर्चा का विषय है. अगर हम अकेले नहीं हैं तो हो सकता है कि इस ब्रह्मांड के अलावा और भी कई सारे ब्रह्मांड हों- हमारी पहुंच से बहुत दूर, जहां हमारी तरह ही लोग रहते हों और वहां के नियम यहां से अलग हो.

पैरेलल यूनिवर्स और मलिटीवर्स की संभावना को नकारा नहीं जा सकता. कई धार्मिक पुस्तकों में भी इसका जिक्र होने का दावा किया जाता है.कहा जाता है कि हर ब्रह्मांड के अपने ब्रह्मा जी और जीवन के अलग नियम हैं. और किसी ना किसी रूप में सारे ब्रह्मांड आपस में जुड़े हुए हैं. तो पैरेलल यूनिवर्स और मल्टीवर्स अब सिर्फ एक साइंस फिक्शन फिल्म का विषय नहीं रहा, इसको लेकर कई थ्योरीज आ चुकी हैं.

क्या कहती है मल्टीवर्स थ्योरी?

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मल्टीवर्स थ्योरी कहती है कि हमारा यूनिवर्स कई यूनिवर्स में से एक हो सकता है, जिनमें से हर-एक के अपने भौतिक नियम हैं. कई वैज्ञानिकों का तर्क है कि ये ब्रह्मांड एक-दूसरे के बगल में हो सकते है, हालांकि हम उन्हें कभी देख नहीं पाएंगे.

क्या सारे ब्रह्मांड बुलबुलों में बंधे हैं?

हमारे ब्रह्मांड में अरबों तारामंडल (गैलेक्सी) घूम रहे हैं. विशेषज्ञों का अंदाजा है कि ये ब्रह्मांड 700 करोड़ प्रकाशवर्षों तक फैला हो सकता है या असीमित भी हो सकता है. क्योंकि तेरह सौ करोड़ साल पहले बिग बैंग के समय निकला मैटर बहुत दूर तक फैला था, इसलिए बहुत सारे ब्रह्मांड हो सकते हैं.

असल में पहले सारे ब्रह्मांड, तारे, ग्रह, सबकुछ एक बिंदु तक ही सीमित था. धीरे-धीरे इसका आकार बढ़कर एक बड़े गुब्बारे की तरह हो गया और एक दिन ये फूट गया. इसे कॉस्मिक इन्फ्लेशन कहा गया.

2011 में छपे एक रिसर्च पेपर के अनुसार कॉस्मिक इन्फ्लेशन की ये प्रक्रिया हर कहीं एक ही समय पर खत्म नहीं हुई थी. हालांकि, हमारे ब्रह्मांड के लिए तेरह सौ करोड़ साल पहले ये पूरी हो चुकी है, लेकिन बाकी यूनिवर्स में ये अभी भी जारी है. ये है थ्योरी ऑफ एटर्नल इन्फ्लेशन.

जैसे ही कहीं पर इन्फ्लेशन खत्म होता है, वहां के ब्रह्मांड के आस-पास एक बुलबुला बन जाता है. इसे बबल यूनिवर्स कहते हैं, यानी हर ब्रह्मांड एक बुलबुले के अंदर है. क्योंकि ये बबल यूनिवर्स अपने आप में ही फैलते जा रहे हैं, इसलिए ये बाकी बबल यूनिवर्स के संपर्क में नहीं आते और ना ही एक-दूसरे से टकराते हैं. मतलब हमारे ब्रह्मांड के बाहर मौजूद बबल यूनिवर्स में रहने वाले लोगों से हम कभी नहीं मिल पाएंगे.

क्वांटम फिजिक्स से है बड़ा कनेक्शन

कुछ वैज्ञानिक इसे क्वांटम फिजिक्स के नियमों से भी जोड़कर देखते हैं. क्वांटम फिजिक्स का ‘वेव फंक्शन’ रूल कहता है कि छोटे-छोटे सबएटॉमिक कण एक ही समय पर अलग-अलग स्थितियों में मौजूद हो सकते हैं. जब हम उन्हें ध्यान से देखते हैं, तो हम इनमें से किसी एक स्थिति को देखते हैं.

यूनिवर्स में भी होती है प्रोबैबिलिटी?

1957 में ह्यूग एवरेट द्वारा पेश की गई मैनी-वर्ल्ड्स इंटरप्रिटेशन थ्योरी कुछ और कहती है. उनका मानना था कि हम हर बार एक ही स्थिति या परिणाम नहीं देखते. बल्कि एक और यूनिवर्स है जहां उसी स्थिति का कोई और परिणाम होता है. उनके अनुसार एक ही जड़ से निकली पेड़ की कई टहनियों की तरह यूनिवर्स हर स्थिति के लिए कई ऑप्शन्स में बंट जाता है- अगर ये हुआ तो क्या, अगर वो हुआ तो क्या, अगर ये नहीं हुआ तो क्या या अगर दोनों में से कुछ नहीं हुआ तो क्या? इत्यादि.

हर ऑप्शन का अपना यूनिवर्स बन जाता है, और ये एक-दूसरे से बिलकुल अलग होते हैं. तो हो सकता है आपके कई सारे वर्जन हों जो आपकी इस लाइफ से बिल्कुल अलग लाइफ जी रहे हों.

आप पैरेलल यूनिवर्स से गायब तो नहीं हैं?

वैज्ञानिकों के अनुसार अगर हमारा ये यूनिवर्स (जिसमें हम रहते हैं), अनंत काल तक चलता रहा, तो मैटर का अरेंजमेंट अनगिनत तरीकों से हो सकता है और कभी ना कभी कोई अरेंजमेंट रिपीट होना तय है. बिल्कुल ऐसा ही सौरमंडल भी किसी और यूनिवर्स में हो सकता है. आपकी पूरी लाइफ, हर छोटी-बड़ी बात सहित, ब्रह्मांड में कहीं और दोहराई जा सकती है.

लेकिन अगर सभी यूनिवर्स एक निश्चित प्वाइंट पर ही शुरू होते हैं, तो हो सकता है कि वो पैरेलल यूनिवर्स अभी उस प्वाइंट तक पहुंचा ही ना हो जहां आप उसका हिस्सा हैं. यानी आप इस समय शायद पैरेलल यूनिवर्स से ही गायब हैं.

ये बातें हमें कन्फ्यूज जरूर कर देती हैं, पर ना तो पैरेलल यूनिवर्स की बात से इंकार किया जाता है और ना फिलहाल हमारे पास इसका कोई ठोस सबूत है. कुछ एक्सपर्ट कहते हैं कि हमें मल्टीवर्स और पैरेलल यूनिवर्स के इस आइडिया की जरूरत ही नहीं है, इससे विज्ञान केवल जटिल हो रहा है. 
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