वोटर अधिकार यात्रा फ्लॉप (Photo: PTI)



बिहार विधानसभा चुनाव के आए नतीजों में कांग्रेस और आरजेडी बुरी तरह धराशायी हो गई है. रिजल्ट ने यह साफ कर दिया है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरजेडी के तेजस्वी यादव द्वारा निकाली गई ‘वोटर अधिकार यात्रा’ चुनावी असर पैदा करने में पूरी तरह विफल रही. और पढ़ें

न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव से कुछ सप्ताह पहले शुरू की गई इस यात्रा का दावा भले ही ‘वोटों की रक्षा’ और ‘वोट चोरी के खिलाफ आवाज़’ उठाने का था, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे महागठबंधन की चुनावी जमीन को मजबूत करने की कवायद के रूप में देखा था. शुक्रवार को जो नतीजे आए हैं उसमें जहां एनडीए को 202 सीटें मिली हैं वहीं महागठबंधन को सिर्फ 35 सीटें मिली हैं.

वोटर अधिकार यात्रा फ्लॉप

दरअसल 17 अगस्त को सासाराम के डेहरी से शुरू हुई वोटर अधिकार यात्रा बिहार के 38 में से 25 जिलों से होकर गुज़री. जिन क्षेत्रों में यात्रा पहुंची, वहां के परिणाम महागठबंधन के लिए बेहद निराशाजनक रहे. यात्रा की शुरुआत जिस सीट से हुई डेहरी से हुई वहां लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राजीव रंजन सिंह विजयी रहे. इसके बाद यात्रा कुटुंबा और औरंगाबाद पहुंची, जहां हम पार्टी के ललन राम और बीजेपी के नारायण सिंह ने जीत हासिल की.

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जिस रूट से गुजरी यात्रा वहां महागठबंधन साफ

वजीरगंज, गया, नवादा और बरबीघा से होकर भी यह यात्रा गुज़री थी. इन सभी सीटों पर बीजेपी और जेडीयू ने जीत दर्ज की. गया टाउन से बीजेपी के प्रेम कुमार, नवादा से जेडीयू की विभा देवी और बरबीघा से जेडीयू के कुमार पुष्पंजय विजयी रहे.

इसके बाद यात्रा शेखपुरा, जमुई और मुंगेर होते हुए कटिहार और पूर्णिया पहुंची लेकिन सभी जगह एनडीए ने मजबूत जीत दर्ज की. कटिहार से बीजेपी के तारकिशोर प्रसाद और पूर्णिया से विजय कुमार खेमका ने जीत हासिल की है.

हालांकि अररिया एकमात्र सीट रही जहां कांग्रेस के अबिदुर रहमान ने जेडीयू की शगुफ्ता अज़ीम को हराकर जीत दर्ज की. इसके अलावा सुपौल और मधुबनी जहां यात्रा पहुंची थी वहां भी जेडीयू और अन्य दल  के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की.

वोटर अधिकार यात्रा वाले रूट पर एनडीए को जबरदस्त फायदा

दरभंगा, मुजफ्फरपुर और सीतामढ़ी जैसी बड़ी सीटों पर भी एनडीए ने कब्जा जमाया. दरभंगा से बीजेपी के संजय सरावगी, मुजफ्फरपुर से रंजन कुमार और सीतामढ़ी से सुनील कुमार पिंटू विजयी रहे. दिलचस्प बात यह रही कि यात्रा के समापन में शामिल होने के लिए इंडिया ब्लॉक के कई नेता 1 सितंबर को पटना पहुंचे थे. इस दौरान राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, सीपीआई(एमएल) के दीपंकर भट्टाचार्य और वीआईपी के मुकेश सहनी ने करीब 1,300 किलोमीटर की यात्रा की.

लेकिन नतीजों ने साफ बता दिया कि यह 15 दिन की यात्रा न तो जनसमर्थन जुटा सकी, न ही राजनीतिक हवा बदली. उल्टा जिन इलाकों में यह यात्रा गई, वहां महागठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा और एनडीए ने भारी बढ़त के साथ चुनावी मैदान पर कब्जा कर लिया.

 

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