लंदन में 13 सितंबर को दक्षिणपंथियों ने अप्रवासियों के खिलाफ प्रदर्शन किया है. (Photo- AP)



अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों के बाद अब ब्रिटेन में भी बाहरी लोगों का विरोध हो रहा है और उन्हें देश से निकालने की मांग की जा रही है. बीते दिन, 13 सितंबर को कमोबेश एक लाख लोग लंदन की सड़कों पर उतरे और देश से अवैध अप्रवासियों को बाहर करने की मांग के साथ बड़ा विरोध-प्रदर्शन किया. ‘यूनाइट द किंगडम’ बैनर के साथ यह रैली लंदन के व्हाइटहॉल क्षेत्र में आयोजित की गई, जहां संसद भवन के पास मार्च समाप्त हुआ. इस रैली का आयोजन विवादित दक्षिणपंथी और राष्ट्रवादी नेता माने जाने वाले टॉमी रॉबिन्सन ने किया, जो इसी साल जेल से रिहा किए गए थे.

लंदन रैली में बड़ी संख्या में लोग यूरोपीय और ब्रिटिश झंडे और सेंट जॉर्ज क्रॉस के साथ नजर आए, और भीड़ ने “हम अपना देश वापस चाहते हैं” जैसे नारे भी लगाए. रैली का आयोजन इन मांगों को लेकर किया गया था कि सरकार अवैध प्रवासन को रोके, देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बहाल करे और ब्रिटिश संस्कृति और पहचान की रक्षा करे.

आयोजक रॉबिन्सन ने रैली को “फ्री स्पीच, ब्रिटिश विरासत और संस्कृति के बचाव” का प्रदर्शन बताया. रैली में शामिल प्रदर्शनकारियों ने “हमारा देश वापस चाहिए” और “हमारी फ्री स्पीच वापस चाहिए” जैसे नारे लगाए. उन्होंने अवैध प्रवासियों के खिलाफ भी अपने आक्रामक रुख का प्रदर्शन किया, जैसे कि कई बैनरों पर “स्टॉप द बोट्स” और “सेंड देम आउट” जैसे नारे लिखे थे. रैली में शामिल एक शख्स ने कहा, “हमें अपना देश चाहिए… हमें अपनी आजादी की आवाज चाहिए… अवैध प्रवासन अब बंद होना चाहिए.”

टॉमी रॉबिन्सन की क्या भूमिका रही और वह क्या चाहते हैं?

स्टीफन याक्सले-लेनन के नाम से भी जाने जाने वाले टॉमी रॉबिन्सन ‘यूनाइट द किंगडम’ रैली के मुख्य आयोजक थे. वह ब्रिटेन में दक्षिणपंथी, राष्ट्रवादी नेता माने जाते हैं और इंग्लिश डिफेंस लीग के संस्थापक भी रहे हैं, जिसपर 2010 में बैन लगा दिया गया था. इस संगठन का एक कार्यकर्ता एक मस्जिद में बम धमाके का दोषी पाया गया था और उसका कनेक्शन नॉर्वे के दक्षिणपंथी आतंकी एंडर्स बेहरिंग ब्रेविक से था, जो ब्रिटेन में आधिकारिक रूप से आतंकी घोषित है.

रैली में रॉबिन्सन ने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, “आज ग्रेट ब्रिटेन में सांस्कृतिक क्रांति की चिंगारी है, यही हमारे लिए मौका है.” उन्होंने दावा किया कि कानून और अदालतों में अब गैरकानूनी प्रवासियों को स्थानीय समुदाय की तुलना में ज्यादा अधिकार मिलते हैं, और यह ब्रिटिश जनता के लिए न्यायपूर्ण नहीं है.

रॉबिन्सन ने मंच से प्रवासन पर कट्टर रुख अपनाया और कहा कि देश में बढ़ती घुसपैठ ब्रिटिश पहचान को धीरे-धीरे खतरे में डाल रही है. रैली पर एक किताबों की दुकान भी लगाई गई थी, जहां उनकी लिखित ‘मैनिफेस्टो: फ्री स्पीच, रियल डेमोक्रेसी, पीसफुल डिसऑबिडिएंस’ जैसी किताबें बिक रही थीं.

42 वर्षीय इस शख्स को इस साल के शुरू में जेल से रिहा कर दिया गया था. उन्हें अक्टूबर में एक सीरियाई शरणार्थी के बारे में झूठे दावे न दोहराने के आदेश की अनदेखी करने के लिए जेल भेजा गया था, जिसने उन पर मानहानि का मुकदमा दायर किया था.

एलन मस्क ने वीडियो लिंक के जरिए की शिरकत

लंदन में आयोजित प्रदर्शन में अमेरिकी टेक अरबपति एलन मस्क ने भी वीडियो लिंक के जरिए हिस्सा लिया. उन्होंने भीड़ को संबोधित करते हुए ब्रिटिश संसद को भंग करने और सरकार बदलने की मांग की. मस्क ने कहा कि ब्रिटेन की सुंदरता के बावजूद देश “प्रवास की भीषण लहर से धीरे-धीरे तबाह हो रहा है” और अगर यह जारी रहा तो लोगों को “या तो लड़ना होगा या मरना होगा.”

रैली के दौरान विरोधियों के कुछ छोटे समूह ने बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की और पुलिस पर बोतलें भी फेंकीं.मस्क ने अमेरिकी कंजर्वेटिव नेता चार्ली कर्क की हत्या का हवाला देते हुए लेफ्ट पार्टियों को ‘हत्या का उत्सव मनाने वाली पार्टी’ बताया और स्थानीय बहुचर्चित मीडिया संस्थान पर भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खत्म करने में सहयोग देने का आरोप लगाया. मस्क की यह मौजूदगी और कट्टर रुख स्पष्ट करता है कि अमेरिकी MAGA विचारधारा के समर्थक ब्रिटिश दक्षिणपंथी आंदोलनों से जुड़ रहे हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पर सामने आई तस्वीरों में देखा गया कि रैली में कुछ लोग MAGA हैट पहने भी नजर आए. उनके आने को कई विश्लेषक यूके और अमेरिका के दक्षिणपंथी आंदोलनों के अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ का संकेत मान रहे हैं. मसलन, MAGA, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का स्वघोषित आंदोलन है, जिसके जरिए वह अमेरिका को ग्रेट बनाने की जद्दोजहद में जुटे हैं.

इसी तरह अमेरिका में भी प्रवासन मुद्दे को लेकर राजनैतिक ध्रुवीकरण बढ़ा है और ट्रंप की मौजूदगी में MAGA समर्थक समूह उभरे हैं, जो प्रवासियों का विरोध करते हैं. लंदन की यह रैली चार्ली कर्क की हत्या के बाद आयोजित की गई थी और इसमें स्पीकर के तौर पर अमेरिकी और यूरोपीय दक्षिणपंथी लोगों जैसे राष्ट्रपति ट्रंप के पूर्व चीफ स्ट्रैटेजिस्ट स्टीव बैनन और जर्मनी की AfD पार्टी के सदस्य भी शामिल थे. कहा जा रहा है कि उन्होंने वीडियो लिंक के जरिए रैली को संबोधित भी किया.

‘स्टैंड अप फॉर रेसिज्म’ विरोध-प्रदर्शन

दक्षिणपंथी टॉमी रॉबिन्सन की रैली के विरोध में आयोजक ‘Stand Up to Racism’ नाम के समूह ने लगभग 5,000 लोगों की एक काउंटर-रैली भी आयोजित की. इनके नारे आक्रामक रैली के उलट सहानुभूति वाले रहे. काउंटर-प्रदर्शनकारियों ने “शरणार्थियों का स्वागत है”, “सुदूर दक्षिणपंथ को ध्वस्त करो” और “स्टैंड अप, फाइट बैक” जैसे नारों के साथ नस्लवाद और कट्टरवाद के खिलाफ आवाज बुलंद किया.

पहली अश्वेत महिला सांसद और निर्दलीय सांसद डायने एबॉट ने समूह के मंच से कहा कि नस्लवाद और हिंसा नई बात नहीं हैं, इन्हें हमेशा हराया गया है और अब फिर से इन्हें हराना होगा. उन्होंने कहा, “हमें शरणार्थियों के साथ एकजुटता दिखानी होगी.” एबॉट ने रॉबिन्सन और सहयोगियों पर झूठी अफवाहें फैलाने का आरोप लगाते हुए बताया कि प्रवासियों को खतरा बताने वाली अटकलों के बजाय उनके मानवाधिकारों का बचाव करना चाहिए.

ब्रिटेन में प्रवासन प्रमुख राजनैतिक मुद्दा बन चुका है, हालिया सर्वेक्षण बताते हैं कि Reform UK जैसे दल जनसमर्थन बढ़ा रहे हैं.पुलिस की तैयारियां और झड़पें

प्रदर्शन की सुरक्षा के लिए मेट्रोपोलिटन पुलिस ने लंदन भर में लगभग 1,600 अधिकारियों को तैनात किया था. दिन के ज्यादातर समय रैलियां शांतिपूर्ण रहीं, लेकिन दोपहर के बाद अचानक तनाव पैदा हो गया. विरोधियों के कुछ छोटे समूह ने बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की और पुलिस पर बोतलें फेंकी. पुलिस ने बताया कि झड़पों में कुल 26 अधिकारी घायल हुए, जिनमें से चार की हालत गंभीर बताई जा रही है. इनके अलावा हेट क्राइम और हमलों को लेकर 25 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया गया. पुलिस ने कहा कि कई लोगों ने कानूनसम्मत प्रदर्शन का अधिकार भले ही प्रयोग किया, लेकिन एक उपद्रवी समूह ने जानबूझकर हिंसा की.

सामाजिक-राजनीतिक संदर्भ

यह रैली उस बड़ी दक्षिणपंथी लहर का हिस्सा है जो यूरोप और अमेरिका में बढ़ती राष्ट्रवादी-प्रवासी विरोधी भावना को दर्शाती है. यूरोप में कई देशों में एंटी-इमीग्रेशन की लहर जोर पकड़ रही हैं. जैसे कि, जुलाई 2025 में पोलैंड की दक्षिणपंथी Konfederacja पार्टी ने “बेकाबू आप्रवासन बंद करो” नारे के साथ देश के कई शहरों में विरोध मार्च आयोजित किए थे. इनके अलावा नॉर्दर्न आयरलैंड और नीदरलैंड्स में इस तरह के प्रदर्शन देखे गए हैं.

ब्रिटेन में भी प्रवासन अब प्रमुख राजनैतिक मुद्दा बन चुका है, हालिया सर्वेक्षण बताते हैं कि Reform UK जैसे दल जनसमर्थन बढ़ा रहे हैं और अगर अभी चुनाव हुए तो वे सबसे बड़ी पार्टी बन सकते हैं. खैर, शाम होते-होते लंदन की सड़कों पर रैलियां तो समाप्त हो गईं और पुलिस ने शहर की सामान्य स्थिति बहाल की लेकिन दक्षिणपंथी टॉमी रॉबिन्सन ने फिर से इसी तरह की रैली करने की चेतावनी भी दी है.

एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस रैली ने ब्रिटिश राजनीति में प्रवासन-विरोधी और दक्षिणपंथी आंदोलनों को एक नया रूप दिया है. राजनीतिक विशेषज्ञों को आशंका है कि आने वाले दिनों में Reform UK की लोकप्रियता और प्रवासन पर बहस बढ़ सकती है. अब आने वाले दिनों में देखना होगा कि लंदन की सड़कों पर आयोजित रैलियां क्या संसद तक का सफर तय कर सकती हैं?
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